Japan’s Slim Moon Landing: चांद पर उतरने वाला पांचवां देश बना जापान

Japan’s Slim Moon Landing सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर चुका है। इसके साथ ही जापान ये सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया है। अंतरिक्षयान ने धरती से चांद तक पहुंचने के लिए 5 महीने की यात्रा की। SLIM एक हल्का रोबोटिक लैंडर है। मालूम हो कि इस मिशन को मून स्नाइपर (Moon Sniper) भी कहा जा रहा है।

इससे पहले भारत, रूस, अमेरिका और चीन यह सफलता हासिल कर चुके हैं। स्लिम का मतलब है स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून मिशन (SLIM – Smart Lander for Investigating Moon) 

SLIM के साथ एक्स-रे इमेजिंग एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (XRISM) भी गया है। यह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए चांद पर बहने वाले प्लाज्मा हवाओं की की जांच करेगा। ताकि ब्रह्मांड में तारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति का पता चल सके। इसे जापान, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है।

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Japan’s Slim Moon Landing

Japan's Slim Moon Landing
Image credit: JAXA

जापान के Moon Mission Sniper का टारगेट चांद के शिओली क्रेटर की जांच करना है। ये चांद के सी ऑफ नेक्टर हिस्से में है। इस हिस्से में Sniper ये जांच करेगा की चांद कैसे बना था। यहां मिनरल्स की जांच कर चांद के ढांचे और उसके अंदर के हिस्सों के बारे में जानकारी हासिल करेगा।

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने कहा कि उसका चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर अपने लक्ष्य के करीब उतरा है। एजेंसी ने कहा कि Smart Lander for Investigating Moon (SLIM) ने अपने लक्ष्य के 100 मीटर (लगभग 330 फीट) के भीतर एक अभूतपूर्व “पिनपॉइंट” लैंडिंग हासिल की।

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Everything about landing

Japan's Slim Moon Landing
Image credit: JAXA

जापान का मून मिशन स्नाइपर ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया है। जापान की स्पेस एजेंसी JAXA ने बीते साल 7 सितंबर को अपने स्नाइपर को चांद के लिए रवाना किया था। 4 महीने से ज्यादा की यात्रा के बाद यह मून स्नाइपर ने स्लिम मिशन के तहत चांद पर लैंडिंग की है। जापान चांद पर पहुंचने वाला पांचवा देश बन गया है। भारत के सफल चंद्रयान मिशन के बाद जापान ने अंतरिक्ष में इतिहास रचा है। जापान की स्पेस एजेंसी JAXA ने बताया है कि उसके उसके स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून ने चांद की सतह पर लैंडिंग की है।

Advance technology of Sniper

जापान का Sniper पहले हुए Moon Mission में लैंडिंग के लिहाज से सबसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से लैस है। इसे तय स्थान पर ही उतारा जाएगा, उसकी जगह में कोई बदलाव नहीं होगा।इस लैंडिंग साइंट का नाम है शियोली क्रेटर (Shioli Crater) है। यह चांद पर सबसे ज्यादा अंधेरे वाला स्थान कहा जाता है।एक और संभावित लैंडिंग साइट मेयर नेक्टारिस (Mare Nectaris) भी है। जिसे चांद का समुद्र कहा जाता है. SLIM में एडवांस्ड Optical Image Processing Technology लगी है।

SLIM के साथ एक्स-रे इमेजिंग एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (XRISM) भी गया है। यह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए चांद पर बहने वाले प्लाज्मा हवाओं की की जांच करेगा। ताकि ब्रह्मांड में तारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति का पता चल सके। इसे जापान, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है।

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी JAXA शुक्रवार को 20 मिनट का टचडाउन चरण शुरू करेगा, जो चंद्र भूमध्य रेखा के ठीक दक्षिण में एक क्रेटर की ढलान पर स्थित लगभग दो एथलेटिक ट्रैक के आकार की साइट पर उतरने की कोशिश करेगा।

Special about Japan’s SLIM Moon Landing

JAXA ने कहा कि यान की लैंडिंग तकनीक चंद्रमा मिशनों को “जहां हम चाहते हैं, वहां उतरने की अनुमति दे सकती है, न कि जहां उतरना आसान है।” चंद्रमा के पहाड़ी ध्रुवों के भविष्य के अन्वेषण के लिए SLIM एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। वे क्षेत्र जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक संसाधनों के संभावित स्रोत हैं – पानी, ऑक्सीजन और संभावित ईंधन।

लैंडिंग के बाद SLIM चांद की सतह पर मौजूद ओलिवीन पत्थरों की जांच करेगा, ताकि चांद की उत्पत्ति का पता चल सके इसके साथ कोई रोवर नहीं भेजा गया है

जापान का ये SLIM 25 दिसंबर को चांद की ऑर्बिट में पहुंचा था। तब से ये चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा था। इस लैंडर का वजन 200 किलोग्राम है। लंबाई 2.4 मीटर और चौड़ाई 2.7 मीटर है। इसमें रडार, लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्ड नेविगेशन सिस्टम लगा हैं। इसमें लगे कैमरे चंद्रमा पर मौजूद चट्टानों की बिल्कुल साफ तस्वीरें लेंगे। इसके साथ ही इसमें लूनर एक्सप्लोरेशन व्हीकल और लूनर रोबोट भी हैं। जापान की स्पेस एजेंसी के मुताबिक पिन पॉइंट लैंडिग टेक्नोलॉजी चंद्रमा के अलावा दूसरे ग्रहों पर भी उतरने की इजाजत देगा। स्लिम लैंडर एक ऐसी लैंडिंग साइट को टार्गेट करेगा जो 100 मीटर में फैली हुई है।

Japan's Slim Moon Landing
Image credit:Jaxa

Japan Launch Two More Mission Ahead

जापान ने इस मून मिशन की लॉन्चिंग कई महीनों तक टाली थी, क्योंकि वह मीडियम लिफ्ट H3 रॉकेट के फेल होने की जांच कर रहा था।इस मिशन के बाद जापान 2024 में हाकुतो-2 और 2025 में हाकुतो-3 मिशन भेजेगा। यह एक लैंडर और ऑर्बिटर मिशन होगा।

Successful Moon Landing Mission of Japan

भारत के बाद अब जापान ने चांद पर अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है। वह चांद पर उतरने वाला पांचवा देश बन गया है। जापान ने पहले किसी भी मिशन की तुलना में अपने लक्ष्य लैंडिंग साइट के बेहद करीब है। उसने सटीक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। हालांकि, जापान का यह मिशन सिर्प 50 प्रतिशत सफल है, क्योंकि इसके सोलर पैनल पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ रही है। इसकी वजह से यह बिजली बनाने में सक्षम नहीं है। 

SLIM ने चंद्रमा पर उतर कर अपना पहला लक्ष्य प्राप्त कर लिया। SLIM का पहला लक्ष्य 100 मीटर के एरिया में सटीकता के साथ उतरना था। इससे पहले चांद पर उतरने वाले सभी अंतरिक्ष यानों को एक बड़ा क्षेत्र दिया जाता था। लेकिन यह भी देखना चाहिए कि अभी तक किसी भी अंतरिक्ष यान ने सटीक लैंडिंग नहीं की थी।

SLIM ने विजन बेस्ड नेविगेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। इसका उद्देश्य चंद्रमा के ऊपर से उड़ान भरते समय सतह की छवि खींचना था। कुनिनाका ने बताया कि लैंडर के उतरने से पहले दो छोटे रोबोट इससे बाहर आते, लेकिन अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि वह बाहर आए थे या नहीं।

कुनिनाका ने बताया कि ऐसा लगता है कि सौर सेल अभी ऊर्जा पैदा नहीं कर रहा है। अपनी बैटरी पर अतंरिक्ष यान पूरी तरह काम कर रहा है। कई घंटों तक बैटरी चलेगी। उन्होंने बताया कि एजेंसी लैंडर की निगरानी करती रहेगी। उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि पैनल फिर से काम करने लगे।

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